कागज की आत्मकथ
हेलो फ्रेंड कैसे हैं ठीक ही होंगे अगर ठीक नहीं होते मिलाती आर्टिकल कैसे पढ़ते हैं
मेरा नाम है अजीम और ने इस आर्टिकल में बताऊंगा कि कागज की आत्मकथा कागज को कैसे बनाया कागज का उपयोग कैसा करना चाहिए इस आर्टिकल को आप शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ें
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मैं कागज हूं! आओ मैं तुम्हें आज अपनी कहानी सुनाता हूं आज से लगभग 2000 साल पहले मेरा जन्म चीन में हुआ था मेरा जन्म से पहले लोग इस चमरा पेड़ की छाल पत्ते लकड़ी आदि तरह-तरह की चीजों पर लिखते थे मित्र के लोग इस काम के लिए पेपीरस नाम के पौधे का प्रयोग करते थे इसलिए बाद में लोग मुझे पेपर के नाम से भी पुकारने लगे चीन में साइलून नामक एक व्यक्ति रहता था वह 1 दिन लकड़ी को काटकर शपथ बनाने की कोशिश कर रहा था उसने देखा कि लकड़ी एक प्रकार के रसों से बने होती है साइलून को लगा
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कि कोशिश कर रहा था उसने देखा कि लकड़ी एक प्रकार के रसों से बनी होती है साइलून को लगा कि रेसो की लुगदी से ऐसा चीज बनाई जा सकती है जिस पर लिखा जा सके बस व लकड़ी के साथ तरह-तरह के प्रयोग करने में जुट गया बहुत समय और परिश्रम के बाद वह मुझे जन्म देने में सफल तो हो गया किंतु उस समय का मेरा रुपए आज के रुपए जितने
बढ़िया नहीं था ना ही मुझे बनाने की सलून की विधि बहुत बढ़िया थी मगर आज भी जिस विधि से मुझे बनाया जाता है उसका मूल आधार साइलून की विधि है!
मुझे बनाने वाले पेड़ पौधे के रेशों को सैलूलोज कहते हैं यूं तो सैलूलोज सभी पेड़ पौधे में पाया जाता है परंतु मुझे बनाने के लिए सबसे बढ़िया सैलूलोज चीड़ देवदार और स्प्रूस
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आदि पेड़ों की लकड़ी में पाया जाता आज मुझे सभी प्रकार की घास फूस और लकड़ियो के अतिरिक्त फटे पुराने कपड़ों के रेशों से भी बनाया जाता है मुझे बनाने के लिए पहले लकड़ी के बड़े-बड़े लड्डू और घास फूस और छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा और छिला जाता है फिर उसमें पानी मिलाकर आप पर उसकी लुगदी तैयार की जाती है लुगदी को तार की जाली में गतिशील पटृटो पर डालकर छाल लिया जाता है इस छानी हुई लुगदी को दबाकर मेहंदी कागज पर बनाती है इसी परत को लंबी करते करते मेरी कागज की सील बना जाती है मोटे तौर पर यही है मुझे बनाने की विधि आज मेरे अलग-अलग अनेक किसमें है जिनको बनाने में कई तरह के रसायन काम में लाई जाती है आजकल यह सारा काम मशीनों द्वारा होती है जिस फैक्ट्री में या काम किया जाता है उसे पेपरमिल कहते हैं सदियों पहले सैलून ने जब मुझे बनाया था तब मैं मोटा और
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खुरदरा था किंतु आजकल मैं मोटा पतला चिकना खुरदर सफेद रंग बिरंगे सादा दानेदार चमकीला पारदर्शी आदि अनेक रुको मैं आपके काम आता हूं
छापेखाने के आविष्कार के साथ-साथ इंसान में मेरी मांग बहुत बढ़ गई है लाखों समाचार पत्र पत्रिकाएं पुस्तके
फार्म चिट्ठी भेजने वाले लिफाफे पोस्टकार्ड सभी मुझसे ही तो बनते हैं अनेक अलावा आजकल मेरे उपयोग मोटे कागज के थैले गत्ते के डिब्बे लैंप शोड
पतंगे पेपर प्लेट आदि अन्य अनेक वस्तुएं बनाएं मैं भी किया जाता है अगर मैं आपसे यह कहूं कि मैं इस दुनिया में सबसे बड़ा हूं तो आप कहेंगे कि मैं झूठी साल दिखा रहा हूं मगर मेरी बात बिलकुल सच है आजकल हुए पैसे को सबसे बड़ा माना जाता है और आप जानते हैं कि
₹1 से लेकर 1000 तक के नोट, डँलर,पौंड आदि सब मुझसे ही तो बनते हैं आप बताओ सबसे बड़ा हुआ है या नहीं संसार की उननति मैं यह मेरा बहुत योगदान है वही मेरे कारण कुछ बड़ी समस्या भी खड़ी हो गई है मुझे बनाने के लिए हर वर्ष हजारों लाखों पेड़ काटे जाते हैं इस लेवल कम हो रहे हैं वनों के कम होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है यह समस्या से बचने के लिए मेरा उपयोग केवल बहुत जरूरी कामो मैंने किया जाना चाहिए इससे आज सबसे बड़े सहायता कंप्यूटर ने की है पहले जो दस्तावेज मोटी मोटी किताबों और फाइलें आदि कागज तैयार होते थी वे अब कंप्यूटर पर आसानी से तैयार हो जाती है इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि एक बार मेरा उपयोग कल लेने के बाद मुझे से का नहीं जाना चाहिए बल्कि मेरा फिर से लुगदी बनाकर मुझे दोबारा बनाया जाना चाहिए
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दोबारा बनाने की इस क्रिया को रिसाइकिंलग या
पुनर्चक्रण कहते हैं हालाँकि इस विधि द्वारा बनाए गए लुगदी की किसम बहुत अच्छी नहीं होती यह सस्ती होती है और इससे धन की बचत होती है वनों को काटने से बचाने तथा धरती को प्रदूषण से बचाने के लिए आप सबको मेरी उपयोग बहुत सोच– समझकर और कम से कम करना चाहिए यही मेरी आप सब से प्रार्थना है
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Peruse – कागज की आत्मकथा
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